गाजियाबाद/साहिबाबाद । 26 नवम्बर को लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा ज्ञानपीठ केन्द्र 1, स्वरुप पार्क जी0 टी0 रोड साहिबाबाद के प्रांगण में “संविधान दिवस” कार्यक्रम का आयोजन किया गया, यह कार्यक्रम संस्था के संस्थापक/अध्यक्ष राम दुलार यादव शिक्षाविद के नेतृत्व में आयोजित किया गया, अध्यक्षता एच0 एल0 विद्यार्थी ने किया, मुख्य अतिथि भंते बुद्ध प्रकाश भी कार्यक्रम में शामिल रहे, सञ्चालन श्रमिक नेता अनिल मिश्र ने किया, हुकुम सिंह, राजेन्द्र सिंह, विनोद त्रिपाठी ने देश प्रेम के गीत और भजन प्रस्तुत कर सभी को आत्मविभोर कर दिया, जोरदार नारों के साथ आकाश गूंज उठा, कार्यक्रम को राम प्यारे यादव, चन्द्रबली मौर्य, श्याम नारायण, अर्जुन सिंह यादव ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर संविधान की प्रस्तावना वितरित की गयी।
संविधान दिवस के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षाविद राम दुलार यादव ने कहा कि 26 नवम्बर 1949 को बाबा साहेब भीमराव अम्बेदकर द्वारा निर्मित संविधान अंगीकार किया गया। बाबा साहेब ने विश्व के सभी संविधानों का अध्ययन कर संविधान की रचना की, जिससे समाज का अंतिम व्यक्ति भी गौरवान्वित हो सके और गरिमापूर्ण जीवन जी सके, तथा उसे यह महसूस हो कि देश के विकास में हमारा भी महत्वपूर्ण योगदान है, डा0 अम्बेडकर ने कहा कि भारत का संविधान सभी प्रकार से देश, समाज और व्यक्ति के सर्वांगीण विकास में योगदान देने के लिए परिपूर्ण है, लेकिन यदि यह अहंकारी और ख़राब लोगों के हाथ में पड़ जायेगा तो यह महज एक किताब ही रह जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि सामाजिक, आर्थिक आजादी के बिना राजनैतिक आजादी अधूरी है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, समता, समानता, न्याय और बंधुता राष्ट्र की एकता, अखंडता के लिए हम सभी को मिलकर कार्य करना है, लेकिन अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि आजादी के 77 वर्ष होने के बाद भी आज संवैधानिक संस्थाएं निष्पक्षता पूर्वक कार्य नहीं कर रही है, लगातार लोकतंत्र और संविधान को कमजोर करने में अधिनायक वादी, अलोकतांत्रिक ताकतें लगी हुई है, जनमत को धनबल, बाहुबल से कुचला जा रहा है। “झूठ, लूट, अनैतिक आचरण” संविधान को लहूलुहान कर रहा है, धर्मनिरपेक्षता, समाजवादी समाज बनाने की अवधारणा पर चोट की जा रही है, मन में मनुस्मृति मैदान में संविधान को चरितार्थ किया जा रहा है, यह देश और संविधान के लिए शुभ संकेत नहीं है, देश को संचालित करने वालों को स्वतंत्रता सेनानियों, शहीदों की कुर्बानियों को स्मरण करते हुए आचरण करना चाहिए, तभी बाबा साहेब डा0 अम्बेडकर का सपना साकार होगा, क्योंकि धार्मिक कट्टरता से देश में सुख, शान्ति और समृद्धि नहीं हो सकती| बहुसंख्यक आबादी को बरगलाकर घोर पूंजीवादी व्यवस्था लागू की जा रही है, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, मंहगाई, गरीबी बढ़ रही है, यह नैतिक आचरण से ही कम की जा सकती है।
मुख्य वक्ता कैलाश चन्द ने सभी ज्ञानपीठ में उपस्थित विद्वानों और सदस्यों को संविधान दिवस की बधाई दी और विस्तार से व्याख्या की, उन्होंने कहा संविधान में अर्थव्यस्था पर काम करने के लिए प्रेरित किया गया है, अनुच्छेद 15 को सबसे महत्वपूर्ण बताया जो समता की व्यवस्था करता है| अनुच्छेद 32 नागरिकों को मौलिक अधिकार की व्यवस्था कर सम्मानजनक जीवन जीने के साथ-साथ संवैधानिक उपचारों का अधिकार भी देता है।
बुद्ध प्रकाश भंते जी ने जादू-टोना को झूठ बता अन्धविश्वास पर करारी चोट की, और कहा कि विज्ञान ही भगवान है, उन्हें क्रियान्वित कर सभी को बताया कि चमत्कार, झूठ और पाखंड है, स्वर्ग-नर्क, रुढ़िवाद, झूठ है, इससे बचकर रहे, और सभी को शिक्षित करें।
प्रमुख रूप से राम दुलार यादव, भंते बुद्ध प्रकाश, एच0 एल0 विद्यार्थी, राजेन्द्र सिंह, ब्रह्म प्रकाश, विजय मिश्र, सी0 पी0 सिंह, कैलाश चन्द, अर्जुन सिंह, परमानन्द, ए0 एस0 यादव, हीरा लाल, पुष्पेन्द्र सिंह, देवमन यादव, शेर बहादुर, राम प्यारे यादव, सी0 बी0 मौर्य, श्याम नारायण, सहदेव गिरी, महेन्द्र यादव, राजपाल, अर्जुन प्रसाद, राज नाथ यादव, सम्राट सिंह, अनिल मिश्र, विनोद त्रिपाठी, बैजनाथ, नागेन्द्र मौर्य, देवकर्ण चौहान, राम सेवक, बाल करन, फूलचंद वर्मा, सी0 पी0 मिश्र, ओम प्रकाश अरोड़ा, हुकुम सिंह, प्रभा शंकर मिश्र, खेमचंद, के0 के0 दीक्षित, नवल मौर्य, विजय भाटी एडवोकेट, अंकुर यादव एडवोकेट, विश्वनाथ यादव, फौजुद्दीन आदि सैकड़ों लोगों ने संविधान दिवस कार्यक्रम में शामिल रहे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें