रविवार, 6 अक्टूबर 2024

राजनगर रामलीला में हुआ राम को वनवास के समाचार से अयोध्यावासी हुए गमगीन का मंचन


                        मुकेश गुप्ता

गाजियाबाद। राजनगर में श्री रामलीला समिति की ओर से चल रही रामलीला में पूरे उत्साह और हर्ष के साथ चारों पुत्रों और पुत्रवधू के स्वागत के पश्चात् दशरथनन्दन राम के राज्याभिषेक की तैयारी चल रही हैं। दूसरी ओर राजा दशरथ को रानी कैकेई के कोपभवन भवन में जाने की जानकारी मिलती है। राजा दशरथ जब उन्हें मनाने कोपभवन में जाते हैं तो रानी  कैकेई राजा से दो वरदान देने को कहती हैं। जिसमें से एक  के रूप में राम को वनवास और अपने पुत्र भरत के लिए राजगद्दी मांगती हैं ।

अयोध्या नगरी में चारों राजकुमारों के विवाह के बाद चारों ओर खुशियां बरस रहीं हैं। राजा दशरथ ऐसे माहौल में राम के राज्याभिषेक की घोषणा करके खुद संन्यास लेने का मन बना रहे हैं। ऐसे में भगवान शंकर को चिंता होती हैं कि भगवान राम ने जिस उद्देश्य के लिए धरती पर अवतार लिया है कहीं वह कार्य अधूरा न रह जाए। तब वह माता सरस्वती के सहयोग से रानी कैकेयी की दासी मंथरा की बुद्धि भ्रमित कर देते हैं। जिससे मंथरा रानी कैकेयी के कान भरती हैं और वह कोप भवन में जाकर लेट जाती हैं। जब राजा दशरथ को इसकी सूचना मिलती हैं तो रानी कैकेयी से वार्तालाप करने के लिए कोप भवन पहुॅचतें हैं और उन्हें मनाने की कोशिश करते हैं। तब रानी कैकेयी उन्हें याद दिलाती हैं कि युद्ध के दौरान राजा दशरथ ने उन्हें दो वरदान देने को कहा था। राजा दशरथ द्वारा वरदान मांगनें के लिए कहने पर पर वह राम के लिए 14 वर्षो का वनवास और अपने पुत्र भरत के लिए राजगद्दी मांगती हैं। राजा दशरथ फिर उन्हेें समझाने की कोशिश करते हैं लेकिन रानी कैकेयी अपनी मांग पर अड़ी रहती हैं। जिसके कारण राजा दशरथ की हालत चिंताजनक हो जाती हैं। जब कौशल्या नंदन राम को माता कैकेयी की मांग का पता चलता हैं तो वह राजसी वस्त्र उतार कर वन गमन के लिए तैयार हो जाते हैं। उनके साथ सीता जी तथा लक्ष्मण भी वन जाने को तैयार हो जाते हैं। 

भगवान श्री राम अपने पिता के वचनों का पालन करने के लिए राजसी वस्त्र उतार कर वन की ओर प्रस्थान कर चुके हैं। सभी के समझाने पर राम नहीं मानते हैं। उनके पीछे पीछे सारे अयोध्यावासी भी रोते बिलखते चल रहे हैं। बार बार उनसे यही अनुरोध कर रहे हैं कि वह वन को न जाएं। सभी के समझाने पर भी राम अपने  निर्णय पर अडिग हैं।यह दृश्य पूरे अयोध्यावासियों के साथ साथ मैदान में मौजूद सभी दर्शकों को भी विचलित कर देता हैं। राम को 14 वर्ष के वनवास की खबर सुनकर राजा दशरथ, प्रभु राम, व्यथित पत्नी के रूप में माता सीता एवं क्रोधित भाई लक्ष्मण की भूमिका निभाने वाले कलाकारों के अभिनय की सर्वत्र प्रशंसा रही। इनके द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे संवाद भी प्रशंसनीय हैं। इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष जयकुमार गुप्ता, कोषाध्यक्ष राजीव मोहन गुप्ता, मेला प्रबंधक एस एन अग्रवाल, संगठन मंत्री विनीत शर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुभाष शर्मा एवं जीपी  अग्रवाल,ऑडिटर दीपक मित्तल , स्वागताध्यक्ष के.पी .गुप्ता, संस्थापक सदस्य नरेश सिंघल,अमरीश त्यागी,  उपाध्यक्ष आर.के.शर्मा, मंत्री मुकेश मित्तल,  राजीव गुप्ता, प्रचार मंत्री रेखा अग्रवाल एवं सौरभ गर्ग, मोतीलाल गर्ग, अनिल कुमार, मदन लाल हरित,  गोल्डी सहगल, आलोक मित्तल, बी.के.अग्रवाल, ओमप्रकाश भोला, विजय लुम्बा सहित राजनगर के  कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे | इस मौके पर  पूर्व मेयर आशु वर्मा, रविन्द्र सिंघल, संजीव गुप्ता, मनीष कर्णधार आदि का मंच पर सम्मान किया गया।

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