शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2024

ज्ञानपीठ केन्द्र में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी व लाला बहादुर शास्त्री की जन्म जयंती मनाई


मुकेश गुप्ता

गाजियाबाद/साहिबाबाद ।  ज्ञानपीठ केन्द्र 1, स्वरुप पार्क जी0 टी0 रोड साहिबाबाद के प्रांगण में 2 अक्टूबर को अध्यात्मिक, राजनीतिक संत, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, स्वतंत्रता सेनानी, भारत रत्न, देश के द्वितीय प्रधानमंत्री लाला बहादुर शास्त्री जी की जन्म – जयंती समारोह का आयोजन इंजी0 धीरेन्द्र यादव द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा0 विशन लाल गौड़ पूर्व प्राचार्य, मुख्य अतिथि कर्नल आर0 एल0 राम रहे, संचालन श्रमिक नेता अनिल मिश्र ने किया, समाजवादी चिन्तक, शिक्षाविद राम दुलार यादव मुख्य वक्ता भी कार्यक्रम में शामिल रहे,सभी गणमान्य विद्वानों, समारोह में शामिल सभी साथियों ने चित्र पर पुष्प अर्पित कर महात्मा गाँधी, लाल बहादुर शास्त्री जी को स्मरण किया तथा उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर वक्ताओं द्वारा दिये विचार पर चलने का संकल्प लिया, भजन और देश प्रेम के गीत सुनाये, गगन भेदी नारों से आकाश गूंज उठा।


        कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षाविद राम दुलार यादव समाजवादी विचारक ने कहा कि सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह के अचूक अस्त्र से महात्मा गाँधी ने शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्यवादी सत्ता से देश, देशवासियों को गुलामी से मुक्ति दिलाया, इस अवसर पर सभी उनके सहयोगियों का भी देश की जनता ऋणी रहेगी, गाँधी जी आध्यत्मिक संत, महान दार्शनिक रहे, उन्होंने व्यक्ति की स्वतंत्रता उसके सर्वांगीण विकास पर बल दिया है, वह आदर्श राज्य की विकेन्द्रीकृत सत्ता, समाज के अंतिम व्यक्ति के जीवन में प्रकाश की किरण पहुंचे, ऐसा चाहते थे।

        वीरेन्द्र यादव एडवोकेट महानगर अध्यक्ष सपा गाजियाबाद ने कहा कि गाँधी जी का विचार था कि राज्य व्यक्ति की स्वतंत्रता में आवश्यकता से अधिक हस्तक्षेप न करें, उन्होंने जितने भी आन्दोलन चलाये चाहे चंपारण, खेडा बारदौली, दांडीमाचॅ, नमक कानून के विरुद्ध वह जनता के साथ होने वाले अन्याय, शोषण और सरकारी लूट का ही विरोध था, और वह सफल भी हुए, उनकी रामराज की अवधारणा स्वतंत्रता, समानता, न्याय और बंधुता तथा जाति-धर्म, क्षेत्र-भाषा, वर्ण और लिंग के भेद-भाव के बिना सभी को सामाजिक, राजनैतिक अधिकार समान रूप से प्राप्त हो, तथा आर्थिक रूप से वह स्वावलंबी और धार्मिक स्वतंत्रता का उपयोग कर सके, ऐसा चाहते थे, लेकिन आज विश्व में भयंकर उथल-पुथल तथा कई देश युद्ध का मैदान बने है, महिलाओं, बच्चों की जाने जा रही है, सभी कष्ट भोग रहे है, वह महात्मा गाँधी के विचार से दूर की जा सकती है, महात्मा जी का मानना था क्रूरता से क्रूरता को ख़त्म नहीं किया जा सकता, वह प्रेम और सहयोह, सत्य, अहिंसा से ही संभव है, आजादी के 77 वर्ष बाद भी राजनीति में लूट, झूठ का बोलबाला है, शांतिपूर्ण प्रदर्शन चाहे वह मंहगाई, बेरोजगारी, बेकारी, भ्रष्टाचार, अनाचार, अन्याय, अत्याचार के विरोध में किये जाय, सत्ताधारी पार्टी बेरोजगार, नवजवानों, किसानों, मजदूरों, छात्र, शिक्षकों और व्यापारियों पर लाठियां वर्षाता, यह चिंता का विषय है| इस व्यवस्था को बदलना है तभी हम गाँधी जी को स्मरण करने के अधिकारी होंगे।

         वीरेन्द्र यादव ने कहा कि भारत रत्न, स्वतंत्रता सेनानी, पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री में निश्छलता, ईमानदारी, संवेदनशीलता कूट-कूट कर भारी थी, सादगी, सरलता, नैतिकता की वह प्रतिमूर्ति थे, जय जवान और जय किसान का उद्घोष जो उन्होंने दिया था आज दोनों के सामने संकट है, अग्निवीर योजना और सात सौ किसानों का शहीद होना इस बात का प्रमाण है कि हम श्रद्धेय राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री के सपनों को साकार नहीं कर पाए| कार्यक्रम को चन्द्रबली मौर्य, एस0 एस0 प्रसाद, अर्जुन सिंह यादव, के0 सी0 शास्त्री, प्रो0 विश्नाथ महेश्वरी, प्रो0 अनिल कुमार, प्रो0 विनय कुमार ने भी संबोधित किया।

         मुख्य अतिथि राम लाल पूर्व कर्नल ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, श्रद्धेय लाल बहादुर शास्त्री समाज और राजनीति में उच्च आदर्शों और नैतिक मूल्यों, आचरण, शुचिता की परम्परा का निर्वहन किया।

       कार्यक्रम में प्रमुख रूप से शामिल रहे, राम दुलार यादव, विशन लाल गौड़, पूर्व कर्नल अर्जुन सिंह यादव, पूर्व कर्नल आर0 एल0 राम, सूरज भान यादव, वीरेन्द्र यादव एडवोकेट, डा0 देवकर्ण चौहान, सम्राट यादव, सूर्यनाथ सुमन, चिंतामणि यादव, मुनीव यादव, इंजी0 धीरेन्द्र यादव, अमृतलाल चौरसिया, कृष्णा यादव, राम खेलावन यादव, राजपाल सिंह, के0 के0 दीक्षित, अंकुर यादव एडवोकेट, यासीन हुसैन, बलिराम सिंह, श्री निवास यादव, एस0 के0 अग्रवाल, चन्द्रबली मौर्य, शैलेन्द्र कुमार, शिशिर यादव, लक्ष्मी नारायण सहगल, नन्दन कुमार, महेन्द्र यादव, के0 सी0 शास्त्री, प्रो0 विनय कुमार, अंशु ठाकुर, गुड्डू यादव, देवमन यादव, विश्वनाथ यादव , एस0 एन0 जायसवाल, प्रो0 विश्नाथ महेश्वरी, प्रो0 अनिल कुमार, भक्ति यादव, अमर बहादुर, हाजी मोहम्मद सलाम, गगनभेदी नारे के साथ हुकुम सिंह, कृष्णा यादव, राजेन्द्र सिंह ने देश-प्रेम के गीत और भजन सुना सभी को आत्मविभोर कर दिया।

 

                                                                                                                                              


                                                                                                                                         

                                                                                                                                        

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