गाजियाबादः श्री सिद्धेश्वर महादेव कुटी पाइप लाईन रोड मकरेडा के महंत मुकेशानंद गिरि महाराज वैद्य ने कहा कि अहोई अष्टमी का व्रत हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। यह पर्व करवाचौथ पर्व के चार दिन बाद मनाया जाता है। अहोई माता की पूजा होने व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाए जाने के कारण ही इस पर्व को अहाई अष्टमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं और उनके खुशहाल जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं। अहोई अष्टमी व्रत में तारों को अर्घ्य देने के बाद माताएं अपना व्रत खोलती हैं और भगवान का भोग लगाने के साथ अपने बच्चों को भी खाना खिलाती हैं। अहोई अष्टमी के दिन ही गोवर्द्धन में राधा कुंड में स्नान किए जाने की परंपरा सालों से चली आ रही है। माना जाता है कि इस दिन राधा कुंड में स्नान करने से जहां संतान की प्राप्ति होती है, वहीं संतान पर राधा रानी की कृपा हमेशा बनी रहती है। इस बार 24 अक्टूबर को अहोई अष्टमी मनाई जाएगी। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 अक्टूबर को देर रात 1 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी और 25 अक्टूबर को देर रात 1 बजकर 58 मिनट पर खत्म हो जाएगी। उदया तिथि के अनुसार अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर को ही रखा जाएगा। इस दिन अहोई माता की पूजा होती है, जिन्हें माता पार्वती का ही स्वरूप माना जाता है। अष्टमी के दिन माता पार्वती के साथ भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से हर मनोकामना पूरी होती है। संतान की प्राप्ति होती है और संतान की आयु लंबी होती है और वे स्वस्थ रहते हैं। अहोई अष्टमी का व्रत सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रखा जाता हैण् बिना कुछ खाए और बिना पानी पिए तारों को जल अर्घ्य देने के बाद व्रत को खोला जाता है।
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