गाजियाबाद । लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा ज्ञानपीठ केन्द्र 1, स्वरुप पार्क जी0 टी0 रोड साहिबाबाद के प्रांगण में रुढ़िवाद, सामाजिक कुरीतियों के घोर विरोधी, मूर्धन्य साहित्यकार, प्रगतिशील लेखक मुंशी प्रेमचंद की जन्म जयंती समारोह का बुधवार को आयोजन किया गया, कार्यक्रम में समाजवादी चिन्तक, शिक्षाविद राम दुलार यादव मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे, अध्यक्षता डा0 देवकर्ण चौहान, सञ्चालन श्रमिक नेता अनिल मिश्र, आयोजन इंजी0 धीरेन्द्र यादव ने किया, इस अवसर पर सभी साथियों ने महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें स्मरण किया, विद्वान वक्ताओं ने उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला, गीतकार हुकम सिंह ने देश-प्रेम के गीत सुना सभी की वाहवाही लूट ली, राजेन्द्र सिंह ने भी भजन सुना कलमकार को याद किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट के संस्थापक/अध्यक्ष राम दुलार यादव समाजवादी चिन्तक ने कहा कि “मुंशी प्रेमचंद का ‘साहित्य समाज का दर्पण है’ उनकी रुढ़िवाद, पाखंड, कुरीतियों, सामाजिक बुराइयों पर पैनी नजर बेजोड़ थी, महिलाओं की सामाजिक दुर्दशा, उत्पीडन का चित्रण उनके मन में करुणा का भाव पैदा करता है, और समाज के प्रति आक्रोश। उन्होंने अभावपूर्ण जीवन जिया था, उनकी कहानियों, उपन्यासों में जो पात्र है, वह भी ग्रामीण पृष्ठभूमि से ही है, जिन्होंने शोषण, अन्याय और आर्थिक उत्पीडन झेला था, उन्हें समझाते हुए मुंशी प्रेमचंद ने कहा कि “निराशा संभव को भी असंभव बना देती है, और आशा उत्साह की जननी है”, उनकी रचनाएँ यथार्थ और मानवता पर आधारित हैं, “नमक का दरोगा” कहानी में उन्होंने तस्करी, जमाखोरों में ईमानदार निरीक्षक के रिश्वत के सामने न झुकना और अपने कर्तव्य का निर्वहन करना भ्रष्टाचारियों और दलालों को सन्देश है| लेकिन आजादी के 76 वर्ष बाद भी 80 करोड़ को 5 किलो अनाज देना पड रहा है, यूनिसेफ की बाल पोषण रिपोर्ट 2024 भारत में 40% बच्चे भूख और कुपोषण के शिकार हैं, 92 देशों में हमारे देश के बच्चों की हालत चिंताजनक है, उन्हें पौष्टिक आहार तो छोडिये पूरा साधारण भोजन भी नहीं मिल रहा है, यह स्थिति तब है जब हम विश्व की 5वीं अर्थव्यवस्था का ढिंढोरा पीट रहे हैं, कृषि क्षेत्र राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो 2022 में 11290 खेतिहर मजदूरों और किसानों ने आत्म हत्या की, यह शर्मनाक है, सूदखोरों, सामंतों के चंगुल से आम जनता नहीं निकल पाई है, मुंशी प्रेमचंद आज भी प्रासंगिक हैं, जब तक समाज में शोषण, अन्याय, अनाचार, उत्पीडन है, वह प्रासंगिक रहेंगे।
कार्यक्रम में श्रद्धा सुमन अर्पित करने वाले प्रमुख रहे, राम दुलार यादव, अनिल मिश्र, मुनीव यादव, डा0 देवकर्ण चौहान, अमृतलाल चौरसिया, फूलचंद पटेल, हुकम सिंह, एस0 एन0 जायसवाल, सत्यपाल सिंह, विजय भाटी एडवोकेट, ओम प्रकाश अरोड़ा, ब्रह्म प्रकाश, सम्राट सिंह यादव, हरेन्द्र यादव, मौलाना, वीर सिंह सैन, राजेन्द्र सिंह, हरिकृष्ण, अमर बहादुर, अंकुर यादव एडवोकेट, राम नयन यादव, प्रेम चन्द पटेल, सुरेश कुमार, दिलीप यादव, नवीन कुमार, रोहित यादव, राजीव गर्ग, हाजी मोहम्मद सलाम, अखिलेश कुमार शुक्ल आदि।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें