शनिवार, 3 अगस्त 2024

अमावस्या का हिंदू धर्म में धार्मिक ही नहीं सांस्कृतिक महत्व भी हैः आचार्य दीपक तेजस्वी

 

मुकेश गुप्ता

गाजियाबादःआचार्य दीपक तेजस्वी ने कहा कि हरियाली अमावस्या यानि श्रावण अमावस्या का हिंदू धर्म में धार्मिक ही नहीं सांस्कृतिक महत्व भी है। इस पर्व पर जहां भगवान शिव व मां पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है, वहीं पितरों के लिए तर्पण और दान भी किया जाता है। इस दिन पौधरोपण करना भी शुभ होता है और ऐसा करने से जीवन में खुशियों की हरियाली आती है। आचार्य दीपक तेजस्वी ने बताया कि हरियाली अमावस्या को पौधे लगाने का सबसे अच्छा दिन माना जाता है। इस समय में बारिश के कारण पूरी धरती पर हरियाली होती है और प्रकृति अपने सुंदर रूप में होती है।  इसी कारण सावन की अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहा जाता है। यह पर्व प्रकृति संरक्षण को भी समर्पित है। इसी कारण इस पर्व पर प्राचीन समय से ही पौघरोपण करने की परम्परा चली आ रही है। पीपल जैसे देव श्रेणी के वृक्ष में ब्रहमा, विष्णु व महेश का वास माना गया है। इसी कारण इस दिन पीपल का पौधा लगाने से जहां ब्रहमा, विष्णु व महेश की कृपा प्राप्त होती है, वहीं हमारे पितृ भी खुश होकर हमें सुख-समृद्धि का वरदान देते हैं।  इस दिन तुलसी पूजन का विशेष महत्व है। तुलसी माता को लाल चुनरी व कच्चा दूध अर्पित करने व शाम के समय तुलसी के पास घी का दीपक जलाकर परिक्रमा करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में कभी भी धन्य-धान्य की कमी नहीं होती है। रविवार को हरियाली अमावस्या के अवसर पर प्रदोष काल यानि 07.10 पर सूर्यास्त के बाद जब अंधेरा होने लगे तो पितरों के लिए दीपक अवश्य जलाएं। कहा जाता है कि अमावस्या के दिन पितर धरती पर आते हैं ताकि वे अपने वंश से तृप्त हो सकें। जब वे वापस पितृ लोक लौटते हैं तो उनके मार्ग में अंधेरा न हो, इसके लिए ही दीपक जलाते हैं। इससे उनका मार्ग रोशन रहता है और वे खुश होकर अपने वंश को आशीर्वाद देते हैं।

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