मुकेश गुप्ता
गाजियाबाद । दूधेश्वर मन्दिर के प्रांगण में चल रहे श्री शिव महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ के चतुर्थ दिन कथा वाचक आचार्य अरविन्द जी महाराज ने शिव विवाह का प्रसंग सुनाया। प्रसंग बताते हुए आचार्य श्री ने कहा कि यह पवित्र संस्कार है, लेकिन आधुनिक समय में प्राणी संस्कारों से दूर भाग रहा है। जीव के बिना शरीर निरर्थक होता है, ऐसे ही संस्कारों के बिना जीवन का कोई मूल्य नहीं होता। भक्ति में दिखावा नहीं होना चाहिए। जब सती के विरह में भगवान शंकर की दशा दयनीय हो गई, सती ने भी संकल्प के अनुसार राजा हिमालय के घर पर्वतराज की पुत्री होने पर पार्वती के रुप में जन्म लिया।
पार्वती जब बड़ी हुईं तो हिमालय को उनकी शादी की चिंता सताने लगी। एक दिन देवर्षि नारद हिमालय के महल पहुंचे और पार्वती को देखकर उन्हें भगवान शिव के योग्य बताया। इसके बाद सारी प्रक्रिया शुरु तो हो गई, लेकिन शिव अब भी सती के विरह में ही रहे। ऐसे में शिव को पार्वती के प्रति अनुरक्त करने कामदेव को उनके पास भेजा गया, लेकिन वे भी शिव को विचलित नहीं कर सके और उनकी क्रोध की अग्नि में कामदेव भस्म हो गए। इसके बाद वे कैलाश पर्वत चले गए। तीन हजार सालों तक उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या की। इसके बाद भगवान शिव का विवाह पार्वती के साथ हुआ। कथा स्थल पर भगवान शिव और माता पार्वती के पात्रों का विवाह कराया गया। विवाह में सारे बाराती बने और
खुशिया मनाई। कथा में भूतों की टोली के साथ नाचते-गाते हुए शिवजी बारात आई। बारात के स्वागत में कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा, विधायक अजीत पाल त्यागी, एमएलसी दिनेश गोयल पूर्व मेयर आशा शर्मा, मुख्य यजमान भाजपा महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा उनकी धर्मपत्नी रितु शर्मा, समाज सेवी आशीष अग्रवाल उनकी धर्मपत्नी रूबी अग्रवाल सहित हजारों की संख्या में भक्त उपस्थित भक्तों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। शिव-पार्वती की सचित्र झांकी सजाई गई। विधि-विधान पूर्वक विवाह सम्पन्न हुआ। महिलाओं ने मंगल गीत गाए और विवाह की रस्म पूरी हुई। महाआरती के बाद महाप्रसादी का वितरण किया गया।
कथा में पीठाधीश्वर महंत नारायण गिरी, मुख्य यजमान संजीव शर्मा भाजपा महानगर अध्यक्ष उनकी धर्मपत्नी रितु शर्मा, समाज सेवी आशीष अग्रवाल उनकी धर्मपत्नी रूबी अग्रवाल सहित तीसरे दिन बड़ी संख्या में महिला-पुरुष कथा श्रवण करने पहुंचे।
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