शुक्रवार, 19 जुलाई 2024

श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े ने महाकुंभ को लेकर बैठक का आयोजन किया, प्रयाग के कुम्भ महोत्सव का विशेष महत्व हैः श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज


14 जनवरी, 29 जनवरी व 3 फरवरी को शाही स्नान होगाः श्रीमहंत हरि गिरी महाराज

शासन से इस बार अखाडे के लिए अधिक भूमि की मांग की गई हैः श्रीमहंत प्रेम गिरी महाराज

प्रयागराजःश्री पंच दशनाम जूना अखाड़े ने प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोर.जोर से प्रारंभ कर दी है। तैयारियों व कुंभ मेले की व्यवस्थाओं को लेकर अखाडे की बैठक का आयोजन जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरी महाराज की अध्यक्षता में किया गया। बैठक के मुख्य अतिथि जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज व विशिष्ट अतिथि श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्रीपंच दशनाम जूना अखाडा के अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज, श्रीमहंत मोहन भारती महाराज, जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत महेशपुरी व श्रीमहंत शैलेंद्र गिरि रहे। श्रीमहंत हरि गिरी महाराज ने बैठक में  बताया कि  महाकुंभ के तीन मुख्य शाही स्नानों में प्रथम शाही स्नान 14 जनवरी 2025 मकर संक्रांतिए द्वितीय शाही स्नान 29 जनवरी 2025 मौनी अमावस्या तथा तृतीय शाही स्नान 3 फरवरी 2025 बसंत पंचमी को संपन्न होगा। तीन अन्य महत्वपूर्ण स्नान 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा, 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा व 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का स्‍नान होंगे। महाकुंभ में भाग लेने, नगर प्रवेश करने, धर्म ध्वजा पूजन, नागा संन्यासी के लिए लगाए जाने वाले शिविरों के लिए भूमि आवंटन, कुंभ नगर में प्रवेश व अन्य विभिन्न कार्यक्रमों के लिए तिथियों का  मुहूर्त अनुसार निर्धारण कर लिया गया है। देश भर से समस्त नागा सन्यासी, साधू-संत व मठाधीश 12 अक्टूबर 2024 को विजयदशमी के पावन पर्व पर प्रयागराज के लिए प्रस्थान करेंगे। रमता पंच, सन्यासी, मठाधीश, महामंडलेश्वर, आश्रम धारी व श्रद्धालु भक्त नगर से बाहर ग्राम रामपुर स्थित सिद्ध हनुमान मंदिर में शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर को पहुंच जाएंगे और वहीं निवास करेंगे। 3 नवंबर 2024 को यम द्वितीया के पावन पर्व पर रमता पंच की अगुवाई में जूना अखाड़ा पूरे लाव लश्करए बैंड बाजोंए,सोने चांदी की पालकियों के साथ शाही जुलूस के साथ नगर प्रवेश करेगा। 23 नवंबर 2024 को कुंभ मेला छावनी में काल भैरव अष्टमी के पावन पर्व पर आवंटित भूमि का पूजन कर धर्म ध्वजा स्थापित की जाएगी। 14 दिसंबर 2024 को आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि  महाराज के नेतृत्व में जूना अखाड़ा द्वारा पेशवाई निकाली जाएगी जो संगम स्थित कुंभ मेला छावनी में समूह के साथ प्रवेश करेगी। 13 जनवरी 2025 को प्रथम शाही स्नान से पूर्व आदि नारायण स्वरूप वेणी माधव भगवान की  पूजा अर्चना  के पश्चात भव्य शोभा यात्रा निकाली जाएगी तथा नगर परिक्रमा की जाएगी। 14 जनवरी 2025, 29 जनवरी 2025 तथा 3 फरवरी 2025 के तीन प्रमुख शाही स्नान के पश्चात विधिवत कुंभ मेले का समापन कर 7 फरवरी को कढी पकोड़ा का कार्यक्रम होगा और उसके पश्चात सभी नागा संन्यासी, मठाधीश महामंडलेश्वर, जूना अखाड़े के पदाधिकारी कुंभ मेले का विधिवत समापन कर काशी के लिए कूच कर जायेंगे। जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज ने बताया कि बैठक में कुंभ मेला क्षेत्र में महामंडलेश्वर नगर, मढ़ी, मठाधीशों, आचार्य महामंडलेश्वर नगर व अन्य संस्थाओं के लिए आवंटित की जाने वाली भूमि को लेकर भी चर्चा हुई। जूना अखाड़े में लगातार हो रहे विस्तार को देखते हुए इस बार अखाड़े को अधिक भूमि आवंटित किए जाने की मांग शासन-प्रशासन के समक्ष रख दी गई है। श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज ने कहा कि प्रयाग के कुम्भ महोत्सव का विशेष महत्व है क्योंकि 12 वर्ष बाद यहां गंगा, यमुना एवं सरस्वती के संगम पर कुंभ का आयोजन होता है। प्रयाग कुम्भ इस कारण भी विशेष महत्व रखता है कि ब्रह्माण्ड की रचना से पहले ब्रम्हाजी ने यहीं अश्वमेघ यज्ञ किया था। दश्वमेघ घाट और ब्रम्हेश्वर मंदिर इस यज्ञ के प्रतीक स्वरुप अभी भी यहां मौजूद हैं।  इस यज्ञ के कारण भी कुम्भ का विशेष महत्व है। साथ ही यह ऐसा स्थान है जहां बुद्धिमत्ता के प्रतीक सूर्य का उदय होता है। कुंभ में डुबकी लगाने से जन्म-जन्मांतर के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इसी कारण प्रयागराज कुंभ में विश्व भर से 35 करोड लोगों के आने की उम्मीद है। उन्हें किसी प्रकार की कोई असुविधा या परेशानी ना हो, इसके लिए श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े समेत सभी अखाड़े शासन-प्रशासन को सहयोग के साथ सुझाव भी दे रहे हैं। बैठक में श्रीमहंत शिवानंद सरस्वती महाराज, प्राचीन देवी मंदिर दिल्ली गेट के महंत गिरीशानंद गिरी महाराज आदि भी मौजूद रहे।

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