श्रावण मास को लेकर श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में महाराजश्री की अध्यक्षता में हुई बैठक
महाराजश्री ने कहा, भक्तों व कांवडि़यों को कोई परेशानी ना हो
गाजियाबादः सावन मास सोमवार से शुरू हो रहा है। सावन मास के प्रथम सोमवार को ऐतिहासिक दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में भक्तों का सैलाब उमडेगा। श्रावण शिवरात्रि पर 1 अगस्त से 3 अगस्त तक मंदिर में कांवड़ मेला भी लगेगा। सावन मास व कांवड़ मेले को लेकर मंदिर में प्रबंध कमेटी की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्रीपंच दशनाम जूना अखाडा अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज ने की। श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज ने कहा कि मंदिर में 22 जुलाई से 19 अगस्त तक श्री दूधेश्वर नाथ श्रावण महा महोत्सव मनाया जाएगा। इस दौरान देश भर से लाखों भक्त व कांवडि़एं भगवान दूधेश्वर की पूजा-अर्चना करेंगे और उनका जलाभिषेक करेंगे। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड समेत देश के सभी राज्यों से भक्त पूजा-अर्चना के लिए आएंगे। अतः हमें इस बात का ध्यान रखना है कि जो भक्त पूजा-अर्चना के लिए आ रहा है, वह भगवान का ही रूप है। जो भी कांवडि़यां जलाभिषेक के लिए मंदिर में आ रहा है, वह भोले का ही स्वरूप है और उसी के अनुसार उसकी सेवा करनी है। मंदिर के अंदर की व्यवस्था पुलिस प्रशासन संभालेगा, अतः मंदिर के बाहर लाईनों में जो हजारों भक्त खडे होंगे, हमें उनकी सेवा करनी है। इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि जो भक्त लाईन में हैं, वह भगवान का ही रूप है,उसे किसी प्रकार की कोई असुविधा या परेशानी नहीं होने देनी है। हमारी यह सेवा भोलेनाथ को प्रसन्न करेगी जिससे उनकी कृपा हम पर बरसेगी। हमें यह भी ध्यान रखना है कि लाईन में किसी प्रकार की कोई अव्यवस्था या धक्का-मुक्की ना हो। सभी भक्तों का प्रेम, आदर व सम्मान के साथ उत्साह बढाना है और अगर किसी भक्त को कोई परेशानी है तो उसका तुरंत समाधान करना होगा। श्रावण मास, श्रावण सोमवार व श्रावण शिवरात्रि के लिए जिन भक्तों ने रूद्राभिषेक के लिए पंजीकरण कराया है, उन्हें गेट नंबर 2 से अंदर लाया जाएगा। श्रावण शिवरात्रि पर मंदिर समिति का कोई भी स्वयंसेवक बीच में खुद भगवान का जलाभिषेक ना करें औरना ही अपने परिवार से ही जलाभिषेक कराए। चतुर्दशी व श्रावण शिवरात्रि का जल 2 अगस्त को अपरान्ह 3.30 से शुरू होकर शनिवार 3 अगस्त को 3.50 तक चढ़ेगा। सभी कांवडिएं रात्रि तक जलाभिषेक करके चले जाएंगे, उसके बाद भीड नहीं रहेगी। उसके बाद स्वयंसेवक या सेवा में लगे लोग जलाभिषेक करें। मंदिर श्रृंगार सेवा समिति के अध्यक्ष विजय मित्तल ने कहा कि मंदिर के सभी स्वयंसेवक व सेवादार महाराजश्री के निर्देशानुसार भोले के भक्तों व कांवडियों की सेवा करने के लिए तैयार हैं। वे पूरे सावन मास दिन-रात सेवा कार्य करेंगे। बैठक में शंकर झा, अमित कुमार झा, मंगल गिरि, मंदिर के सभी आचार्य, शिष्य, स्वयंसेवक व सेवादार मौजूद रहे।
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