शुक्रवार, 19 जुलाई 2024

भागवत कथा में निकली वामन अवतार की झांकी, जड़भरत का प्रंसग भी हुआ संपन्न

 


मुकेश गुप्ता

गाजियाबाद। राकेश मार्ग स्थित गुलमोहर एन्क्लेव सोसाइटी के श्री शिव बालाजी धाम मन्दिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन मन व जड़ भरत तथा भगवान के वामन अवतार की कथा का प्रसंग संपन्न  हुआ। इस अवसर पर भगवान वामन अवतार की सुंदर झांकी भी निकाली गई।

      शुक्रवार की सांय 4 बजे से प्रारम्भ हुई भागवत कथा में कथा प्रवक्ता पंडित संजीव शर्मा ने बताया कि जड़भरत की कथा भागवत पुराण के पंचम कांड में आती है। जड़भरत का असली नाम भरत था और वे स्वायंभुव वंशी ऋषभदेव के पुत्र थे। एक बार नदी में बहते मृग को बचाने के बाद वे उसका इलाज करने लगे और मृग से उनका मोह हो गया। मृग के मोह में पड़ने की वजह से अगले जन्म में उन्होंने मृगयोनि में जन्म लिया। मृगयोनि में रहते हुए भी उन्हें अपने पुराने जन्मों का ज्ञान था और वे भगवान की आराधना करते रहे। अगले जन्म में उन्होंने एक ब्राह्मण कुल में जन्म लिया और पुराने जन्मों की यादों की वजह से वे संसार से पूरी तरह विरक्त हो गए। उनकी इस विरक्ति की वजह से लोग उन्हें पागल समझने लगे और उनका नाम जड़भरत पड़ गया। जड़भरत के रूप में वे जीवन भर भगवान की आराधना करते रहे और आखिर में उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई। जड़भरत की कथा से तत्वज्ञान का बोध मिलता है।

    इसके साथ ही पंडित संजीव शर्मा ने भगवान विष्णु के वामन अवतार का प्रसंग भी सुनाया। भागवत पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने देवराज इंद्र को स्वर्ग पर पुनः अधिकार प्रदान करने के लिए वामन अवतार लिया। ऋषि कश्यप और देव माता अदिति के पुत्र के रूप में भगवान विष्णु ने एक बौने ब्रह्मण के रूप में जन्म लिया। इन्हें ही वामन अवतार के नाम से जाना जाता है, ये विष्णु जी का पांचवा अवतार थे।

  पंडित संजीव शर्मा ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा सुनने से मनुष्य के कई जन्मों के पापों का क्षय हो जाता है। हमें भागवत कथा सुनने के साथ साथ उसकी शिक्षाओं पर भी अमल करना चाहिए। उन्होंने बताया कि वामन अवतार के रूप में भगवान विष्णु ने राजा बलि को यह शिक्षा दी कि दंभ और अंहकार से जीवन में कुछ भी हासिल नहीं होता और यह धन संपदा क्षण भंगुर होती है। इसलिए इस जीवन में परोपकार करो। उन्होंने बताया कि अहंकार, गर्व, घृणा और ईर्ष्या से मुक्त होने पर ही मनुष्य को ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। इस अवसर पर भगवान के वामन अवतार की सुंदर झांकी भी निकाली गई। जिसमें सभी श्रद्धालुओं ने भगवान विष्णु के पांचवे अवतार वामन स्वरूप के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया।  तीसरे दिन की कथा के समापन  पर भगवान की आरती व प्रसाद वितरण किया गया। इस मौके पर सैकड़ों महिला पुरुष श्रद्धालु मौजूद रहे।

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