बैसाखी का पर्व सिख धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है सिख इतिहास का
के दिन को खालसा सजना दिवस भी कहा जाता है एक कारण और भी जुड़ा हुआ है बैसाखी दिन के साथ आज के दिन फसल पककर तैयार हो जाती है और किसान फसल काटने की तैयारी करता है बैसाखी के पर्व को बहुत ही खुशियों के साथ मानता है
सिख धर्म के दसवें गुरु जिनको बैसाखी पर्व से पहले गोविंद राय के नाम से संबोधित किया जाता था सन 1699 में बैसाखी के दिन गुरु गोविंद सिंह महाराज जी ने पहले पांच प्यारों को अमृत पान कराया सिख धर्म की शुरुआत की सजाएंगे पंच प्यारे अलग-अलग जाति से तालुका रखते थे दशमेश पिता ने इन्हीं पांच प्यारों से खुद अमृत पान किया फिर गुरु गोविंद राय की जगह दशमेश पिता को गुरु गोविंद सिंह जी लिखा जाने लगा पंच प्यारे बनाने का मुख्य उद्देश्य था जात-पात के भेद को खत्म करना
गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा रेलवे रोड बजरिया में आज बहुत ही उत्साह के साथ बैसाखी के पर्व को मनाया गया
अध्यक्ष सरदार हरमीत सिंह की अध्यक्षता में परसों रोज से चल रहे अखंड पाठ की आज सुबह 11बजे समाप्ति हुई उपरांत अरदास की गई कड़ा प्रसाद वितरित किया गया प्रसाद के बाद पहले हजूरी रागी संत सिंह जी ने गुरु जस गायन किया अपरांत स्त्री सत्संग के द्वारा कीर्तन किया गया स्त्री सत्संग के कीर्तन के बाद आनंदपुर केशगढ़ से आए रागी भाई कुलविंदर सिंह जी ने शब्द गायन करके आई हुई संगत को निहाल समाप्ति पर संगत में प्रसाद वितरित किया गया सभी संगत ने बिना भेदभाव उच्च नीच के भेद को खत्म करते हुए एक पंगत में बैठकर लंगर ग्रहण किया
इस बैसाखी के बड़े पर्व पर एनडीए गठबंधन के प्रत्याशी मौजूदा विधायक लोकसभा प्रत्याशी अतुल गर्ग अपने साथियों के साथ गुरु घर में माथा टेकने पहुंचे गुरुद्वारा सिंह सभा की पूर्ण कमेटी ने अतुल गर्ग को शॉल मोमेंटो गुरु घर की तरफ से सोरोपा देकर उनके कामयाबी की अरदास की गुरुद्वारा आने पर स्वागत किया स्वागत करने वालों में चेयरमैन हरमीत सिंह प्रधान इंद्रजीत सिंह टीटू एसपी सिंह ओबेरॉय वीर खालसा अध्यक्ष कुलविंदर ओबेरॉय जगमोहन कपूर हरविंदर सिंह अमनदीप जसमीत खोसला दविंदर चौहान संजय शर्मा आदि थे। गुरुद्वारे के महामंत्री एसपी सिंह ओबेरॉय ने लंगर की पूरी व्यवस्था अपने हाथ में ले रखी थी वीर खालसा दल के अध्यक्ष कुलविंदर सिंह ओबरॉय जी गुरु घर में आए हुए सभी मेहमानों का अपनी टीम के साथ स्वागत कर रहे थे आरपी सिंह और जगमोहन कपूर की जल की सेवा निभा रहे थे। गुरुद्वारे के अंदर की सारी व्यवस्था प्रधान इंद्रजीत सिंह टीटू जी के हाथ में थी
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