साहिबाबाद। लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा महा मना मदन मोहन मालवीय पुस्तकालय नि: शुल्क वाचनालय 5/65 वैशाली गाजियाबाद के प्रांगण में प्रतियोगी छात्र, छात्राओं को संस्था के संस्थापक/अध्यक्ष राम दुलार यादव द्वारा दो दर्जन से अधिक पुस्तकें भेंट की गयी, इस अवसर पर समाज सेविका फूलमती यादव भी कार्यक्रम में शामिल रही।
पुस्तक भेंट करने के बाद छात्र, छात्राओं को संबोधित करते हुए शिक्षाविद राम दुलार यादव ने कहा कि “किताब से हमे प्रेरणा मिलती है कि मनुष्य को सच्चाई, नैतिकता का रास्ता कभी नहीं छोड़ना चाहिए, संघर्षों के बीच भी मानव को अच्छा चरित्र और इंसानियत ही आगे ले जाती है, कठिन परिश्रम, दूर दृष्टि, पक्का इरादा, अनुशासन ही सफलता कि कुंजी है, लेकिन आज नवजवानों को भ्रमित किया जा रहा है”। भगवान बुद्ध ने कहा है कि “जब अंधविश्वास शिक्षा पर हावी हो जाता है, तब मानसिक गुलामी का जन्म होता है, समाज उचित, अनुचित का निर्णय नहीं ले पाता”, प्रतियोगी छात्र रात-दिन कड़ी मेहनत कर रहे है, लेकिन उन्हे रोजगार मिल नहीं पा रहा है, सरकार रोजगार सृजन नहीं कर पा रही है, जिससे बेरोजगारी, बेकारी, आर्थिक असमानता बढ़ती जा रही है, आज देश की संपत्ति का 40% भाग 10 % लोगों के पास है, और 21 अरबपतियों की संपत्ति 70 करोड़ भारतवासियों के बराबर है, भारत की आधी आबादी पर कुल 3% पूंजी है, इसलिए मंहगाई आसमान छू रही है, आर्थिक तंगी के कारण छोटे उद्योग धंधे बंद हो रहे है, जहां सबसे अधिक रोजगार के अवसर प्राप्त होते थे, बेरोजगारी के कारण लोग भुखमरी के शिकार हो रहे है, शिक्षा, चिकित्सा की हालत देश में ठीक नहीं है, निजी शिक्षा केन्द्र और चिकित्सालय जनता की जेब पर डाका डाल रहे है, 42% से अधिक स्नातक और 22% से अधिक परास्नातक बेरोजगार हो कुंठा के शिकार हैं, 10 प्रतिशत 25 से 35 वर्ष का नवजवान बेरोजगारी की मार झेल रहा है, विकास का झूठा राग गाया जा रहा है, लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट शिक्षा और देश में चिकित्सा सभी को सुलभ हो प्रयासरत रह मांग कर रही है कि सरकार नवजवानों को बेरोजगारी से निकालने के लिए रोजगार के अवसर सृजित करे, आग्रह करती है, नवजवानों की निराशा को तभी दूर किया जा सकता है। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से शामिल रहे प्रतिभा, ऋचा, सोनम वर्मा, नेहा शर्मा, सनी सिंह, राहुल, श्रेया सिंह, नंदनी, आरती, अभिषेक, चक्रधारी दूबे, आकाश, जतिन, रेहान, सान्या, राम दुलार यादव, फूलमती यादव आदि।
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