इसके पश्चात वैभव पुरन्द्रे जी ने अगले सत्र में छत्रपति शिवाजी महाराज के इतिहास पर बात करते हुए कहा कि शिवाजी महाराज जी का जीवन बहुत आसान नही था। उनके जन्म से पहले उनकी माताजी तथा पिताजी के परिवार के बीच केवल उस समय के मुग़ल शासकों के कारण वैमनस्य था उन हालातों के बीच शिवाजी ने 11 वर्ष की आयु में हिन्दवी स्वराज की स्थापना के लिये कार्य करना शुरू कर दिया। जिस समय राजमुद्रा फारसी में छपती थी शिवाजी महाराज जी ने अपनी अष्टकोणीय संस्कृत राजमुद्रा छपवाई। जहां मुगल साम्राज्य हिन्दू त्योहार मनाने पर पाबंदी लगाते थे वही शिवाजी महाराज ने अपने शासन ने सभी धर्मों को सम्मान दिया। देश की प्रथम नौसेना के प्रणेता के रूप में प्रख्यात शिवाजी महाराज ने देश के पश्चिमी तट को सुदृढ़ करने का कार्य किया जिसमें उस समय उन की सेना में 50 लड़ाकू जहाज तथा लगभग 650 व्यापारिक जहाज़ थे। शिवाजी महाराज ने अपने 50 वर्षों आयुकाल में हिन्दवी स्वराज के लिये कार्य करते हुए समृद्ध भारत के लिये जीवन समर्पित कर दिया।
अध्यक्षीय भाषण में आश्रम के संस्थापक तथा विख्यात सन्त परमपूज्य पवन सिन्हा गुरुजी ने बात करते हुए कहा देश मे दन्तकथाओं से बड़ा नुकसान हुआ। जो धर्म एवं इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने के लिये बड़ी जिम्मेदार हैं। आज राम जी तथा हनुमान जी के बारे में बात हो रही है पर रामराज्य तथा हनुमान जी के ज्ञान पर चर्चा नही होती। ऐसा ही छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ भी हुआ, जिसमे सत्य के साथ छेड़छाड़ की गई। 'स्वराज' शब्द की व्याख्या करते हुए पूज्य गुरुजी ने कहा कि अपना राज। इसका अर्थ है हमारा भारत विदेश की धरती से नही चलेगा। अपनी भाषा, अपना भोजन, अपने बंदरगाह, अपने लोग, अपनी नीतियां तथा अपना आधार। इसलिये आज हम छत्रपति शिवाजी के बारे में पढ़ सुन रहे हैं, जिन्होंने 17वीं शती में सुदृढ भारत एवं सशक्त हिन्दवी समाज की कल्पना ही नही की बल्कि उसके लिये जीवन दे दिया। आज देश मे नेताओं और अफसरशाही को सही पढ़ाई तथा मार्गदर्शन की आवश्यकता है। शिवाजी महाराज जी ने भी अपने कार्यकाल में निकम्मे अफसरों पर नकेल कसी, उन्हें सत्ता से बाहर किया तथा अच्छे अफसरों को मौका दिया। गुरिल्ला युद्ध के इतिहास पर बात करते हुए गुरुजी ने कहा कि सबसे पहले राम जी ने गुरिल्ला युद्ध शुरू किया जिसके बाद छत्रपति शिवाजी ने अपने युद्ध मे इस शैली का बड़ा प्रयोग किया। हिन्दवी स्वराज का अर्थ है भारतीयता। इसके लिये जब तक जातिवाद समाप्त नही होगा हम सब हिन्दू एक नही होंगे तबतक भारत में हिन्दवी स्वराज नही आ सकता। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथियों के रूप में ITS कॉलेज के चेयरमैन श्री आर पी चड्ढा जी, कर्नल (रिटायर्ड) टीपी त्यागी जी महेश आहूजा जी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में देश के विभिन्न प्रदेशों तथा कई कॉलेजों के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
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