मंगलवार, 17 अक्तूबर 2023

रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाई पर वचन न जाई।

मुकेश गुप्ता सत्ता बन्धु
गाजियाबाद। श्री धार्मिक रामलीला समिति (पंजी०) कविनगर के मंच पर आज अयोध्या काण्ड के अन्तर्गत राजा दशरथ द्वारा श्री राम को अपने उत्तराधिकारी की घोषणा और दासी मन्थरा के षड्यंत्र एवं कैकेयी द्वारा अपने वचनों को पूरा कराने के लिये राजा दशरथ को श्री राम को वनवास हेतु बाध्य करने की मार्मिक लीला का मंचन किया गया।
राजा दशरथ, गुरु वशिष्ट एवं ऋषि विश्वामित्र चारों राजकुमारों एवं पुत्रवधुओं सग राजा जनक की आज्ञा से अयोध्या कूच करते है। अयोध्या नगरी में सभी का बड़े हर्षोल्लास के साथ स्वागत होता है। सम्पूर्ण नगर को नगरवासियों द्वारा सुसज्जित किया गया। तीनों रानियों द्वारा अपनी नव वधुओं का पूरे जोश के साथ स्वागत किया जाता है। राजा दशरथ के मन में अपने वानप्रस्थ जाने का विचार आता है और वो राज्य सभा में अपने इस विचार को व्यक्त करते हैं। 
सभी सभासदों की सहमति से श्री राम को राजा बनाने का निर्णय किया जाता है, परन्तु कैकेयी की दासी मन्थरा की कुटिल सोच रानी कैकेयी को भ्रमित कर देती है और कैकेयी कोप भवन में चली जाती है। राजा दशरथ इस बात को जानकर दुखी होती है और कैकेयी को मनाने कोप भवन जाते हैं जहा कैकयी उन्हें दिये गये वचनों का स्मरण कराती है जिससे अयोध्या का भाग्य दुर्भाग्य में बदल जाता है। कैकेयी राजा दशरथ से अपने वचनों के बदले श्री राम को 14 वर्ष का वनवास और अपने पुत्र भरत के लिये अयोध्या का राज माँगती है। राजा दशरथ रानी कैकेयी को समझाने का भरसक प्रयास करते है परन्तु कैकेयी टस से मस नहीं होती। जब श्री राम को इसकी सूचना मिलती है तो वह रघुकुल की परम्परा को पूर्ण करने के लिये अपने पिता की दयनीय अवस्था के विपरीत जाकर अपने वन जाने का निर्णय लेकर समस्त अयोध्या राज्य को दुख के सागर में डुबो देते हैं। श्री राम के इस निर्णय को जानकर जानकी जी एवं लक्ष्मण जी भी श्री राम के साथ वनगमन का निर्णय लेते हैं। आज के इस भावपूर्ण मंचन को देखकर उपस्थित जनसमूह भाव-विभोर हो उठता है। आज की लीला का मंचन देखने के लिये श्री अतुल गर्ग, माननीय विधायक गाजियाबाद मुख्य अतिथि रहे ।


इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष ललित जायसवाल, महामंत्री भूपेन्द्र चोपड़ा, बलदेव राज शर्मा, गुलशन बजाज, अजय जैन, आनन्द गर्ग, तरूण चौटानी, दिवाकर सिंघल आदि उपस्थित रहे।



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