गौरव गुप्ता सत्ता बन्धु
दिल्ली एन सी आर। 31 अगस्त को वर्ड्स रिदम इमेजेस और आर्यन ग्रुप संस्थान ने एक गोष्ठी का आयोजन किया जिसका शीर्षक रहा "सामाजिक बदलाव के लिए कहानी कहने का महत्व" इस कार्यक्रम में दिल्ली के विभिन्न संगठनों एवं सामाजिक संस्थाओं ने प्रतिभाग किया जिसमे सभी ने अपनी संस्थाओं में चलाए जा रहे सामाजिक कार्यक्रमों को सांझा किया।
जैसा की हम जानते हैं की दिल्ली कई गैर सरकारी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का घर है जो शिक्षा और गरीबी उन्मूलन से लेकर पर्यावरण संरक्षण और कमजोर और हाशिए पर रहने वाले समूहों के सशक्तिकरण तक विभिन्न क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं। यह आयोजन सामाजिक परिवर्तन के लिए कहानी कहने के विषय पर विचारों के आदान-प्रदान के लिए कुछ ऐसे प्रमुख संगठनों को एक साथ लाया। विचारोत्तेजक चर्चाओं में विभिन्न तरीकों पर चर्चा की गई, जिसमें हम सभी मानवीय कहानियों और साझा अनुभवों की शक्ति का लाभ उठाकर सामाजिक परिवर्तन में सकारात्मक योगदान दे सकते हैं। शहर के प्रतिष्ठित सामाजिक कलाकार इस कार्यक्रम में शामिल हुए और उन्होंने अपने द्वारा किए जा रहे सामाजिक कार्यों पर अधिक ध्यान आकर्षित करने के लिए अपने कार्य क्षेत्र से मानव-रुचि की कहानियों को कैसे कैप्चर और साझा किया है, इसकी जानकारी साझा की।
यह कार्यक्रम डिजिटल स्टोरी टेलर्स फॉर सोशल चेंज (DISSC) प्रोजेक्ट मोबाइल -वीडियो आधारित कहानी कहने का मॉडल चला रहा है। इंडिया हैबिटैट सेंटर में आयोजित इस कार्यक्रम में ऐसे बुद्धिजीवों का जमावड़ा हुआ, जो सामाजिक बदलाव लाने के लिए कहानी कहने की क्षमता तलाश रहे हैं। प्रतिभागियों ने प्रभावशाली कहानी कहने में योगदान देने वाले प्रमुख तत्वों पर अंतर्दृष्टि साझा की। इंटरैक्टिव चर्चा उन अवसरों, चुनौतियों, नवाचारों और सहयोग पर केंद्रित थी जिनकी सामाजिक परिवर्तन के लिए एक उपकरण के रूप में कहानी कहने के लिए आवश्यकता होती है। इस कार्यक्रम में अदिति अरोड़ा (गर्ल अप), सोनल कपूर (प्रोत्साहन इंडिया फाउंडेशन), अरशमिन बावेजा (क्विक्सांड डिज़ाइन स्टूडियो), वैष्णवी गणेशन (वि-शेष),ओशिन धवन (कॉममुटिनी द यूथ कलेक्टिव), नेहल राज प्रधान (प्रवाह), पायल खुराना और निर्मला नायर (कबूम सोशल इम्पैक्ट), और सैमुअल पौमई और श्रुति निखार (सीड्स टेक्निकल सर्विसेज), और नथानिएल दखार (म्यू गामा कंसल्टेंट्स) आदि संस्थाओं के प्रमुख उपस्थित रहे। फिल्म निर्माता और WRI के संस्थापक अजय गोविंद ने कहा, “फिल्में हमेशा से हमारे देश में सामाजिक परिवर्तन का एक सशक्त माध्यम रही हैं। अब स्मार्ट फोन और सही कौशल के साथ बहुत से लोग वीडियो का उपयोग अपनी कहानियों को इस तरह से बताने के तरीके के रूप में कर सकते हैं जो प्रभावशाली हो और उनके जीवन को बेहतरी के लिए बदल दे।''DISSC प्रोजेक्ट की निदेशक रेम्या ससींद्रन ने साझा किया कि “हम जानते हैं कि कहानियां, जब प्रभावशाली तरीके से बताई जाती हैं, तो लंबे समय तक हमारे साथ रहती हैं। हमारे आसपास हर समय शक्तिशाली कहानियाँ घटित होती रहती हैं। अगर इन कहानियों को इकट्ठा करके एकत्रित किया जाए और सही समय पर और सही तरीके से सही लोगों तक पहुंचाया जाए, तो बहुत सारा सकारात्मक सामाजिक बदलाव आ सकता है।'
आर्यन ग्रुप के संस्थापक, फ़ैज़ी अलीम खान ने कहा, “हमारे संघर्षों और कठिनाइयों के बारे में कहानियाँ साझा करना किसी और को कठिन मुद्दों को समझाने का एक शानदार तरीका है। कहानी सुनाना हमें एक-दूसरे के करीब लाता है क्योंकि एक ही समाज में रहने वाले लोगों के रूप में हम सभी के पास बहुत सारे अनुभव साझा होते हैं। ये कहानियाँ हमें एक-दूसरे को बेहतर ढंग से समझने और बेहतर भविष्य के लिए मिलकर काम करने में मदद कर सकती हैं।''
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