तीन भागों में किया जाता है पूर्वजों व पुरखों का श्राद्ध
गाजियाबादः आचार्य दीपक तेजस्वी ने कहा कि गणेश चतुर्थी के बाद पहली पूर्णिमा से श्राद्ध शुरू होते हैं। इस बार श्राद्ध यानि पितृ पक्ष 29 सितंबर से शुरू हो रहे हैं। पितृ पक्ष की अवधि 16 दिन की है। आचार्य दीपक तेजस्वी ने बताया कि पितृ पक्ष में लोगों को अपने पूर्वजों और पुरखों का सम्मान करने, उन्हें भोजन और जल अर्पित करने का अवसर मिलता है। मृत्यु के बाद संस्कार करने के लिए दान व तर्पण और श्राद्ध को बहुत शुभ माना जाता है। श्राद्ध यानि पितृ पक्ष के 3 भाग होते हैं। पहले भाग को पिंड दान कहा जाता है। चावल के गोले, शहद, चावल, चीनी व जौ के साथ बनाए पिंड को पितृों व पूर्वजों को अर्पित किया जाता है। दूसरे भाग को तर्पण के रूप में जाना जाता है। आटा, जौ, कुशा घास और काले तिल के साथ मिश्रित पानी पितरों को चढ़ाया जाता है। इस समारोह का तीसरा और अंतिम भाग ब्राह्मण पुजारियों को भोजन प्रदान करना है। लोगों को पितृ पक्ष में पवित्र ग्रंथों से कथा पढ़नी चाहिए। पितृ पक्ष के दौरान सिर्फ शाकाहारी भोजन ही खाना चाहिए। लहसुन, प्याज आदि जैसे तामसिक भोजन से दूर रहे। बालों को ना काटें। साथ ही कोई भी नया प्रोजेक्ट, नया घर या नई गाड़ी खरीदने का प्रयास नहीं करना चाहिए। सर्व पितृ अमावस्या उन सभी पूर्वजों को समर्पित है जिनकी मृत्यु तिथि को भुला दिया गया है या अज्ञात है।
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