सस्ती शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं भारत की जनता का मौलिक अधिकार -- सीमा त्यागी
गाजियाबाद। भारत की जनता की दो मूलभूत आवश्यकताए है सस्ती और सुलभ शिक्षा एवम स्वास्थ्य सेवाएं जिन्हें हम देश की जनता का मौलिक अधिकार भी कहते है सस्ते और सुलभ रूप में इन दोनों अहम सुविधाओं को हासिल करने का एक ही श्रोत माना जाता है वो है देश के सरकारी स्कूल और सरकारी अस्पताल हमेशा से शिक्षा एवम स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओ को जनता तक पहुँचाना शुद्ध रूप से समाज सेवा की श्रेणी में रखा जाता है लेकिन जब से पूंजीपतियों और उधोगपतियों की नजर शिक्षा एवम स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं पर पड़ी है तभी से इन दोनों सुविधाओ को मोटी कमाई का साधन बना इनको व्यापर का रूप दे दिया है हम सभी जानते है इन दोनों सविधाओं को पाने के लिए देश की जनता को मोटी रकम खर्च करनी पड़ रही है आप कह सकते है कि आम आदमी अपनी कमाई का लगभग 50 से 60 प्रतिशत आमदनी का हिस्सा शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं को पाने के लिए खर्च करने के लिए मजबूर है देश में जिस प्रकार तेजी से निजी स्कूल खुलते जा रहे ठीक उसी प्रकार निजी हॉस्पिटल की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है देश की जनता अपने टैक्स का पैसा सरकारी स्कूलों और हॉस्पिटलों पर खर्च होते देखना चाहती है देश की जनता चाहती है कि देश के प्रत्येक राज्य में ज्यादा से ज्यादा सरकारी स्कूल और सरकारी अस्पताल खोले जाये जिससे कि देश के आम नागरिक को ये सुविधाएं बहुत कम पैसा खर्च करके मिल सके लेकिन जहाँ भारत मे सरकारी स्कूलों की संख्या तेजी से घट रही है वही सरकारी अस्पताल भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ते नजर आ रहे अगर हम गोर करे तो ये निजी स्कूलों और हॉस्पिटलों को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा षडयंत्र नजर आता है क्योकि इन दोनों व्यवसाय से पूंजीपतियों और उधोगपतियों के तार सीधे सरकार में बैठे नीतिनिराधरको से जुड़े है जिसके कारण इन दोनों पर सरकार का नियंत्रण न के बराबर है और यही कारण है कि देश मे शिक्षा और स्वास्थ्य के नाम पर सुविधा देने के व्यापार ने आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है इन दोनों सुविधाओ के महंगे होने के कारण जहाँ देश के लाखों बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित रह जाते है वही हर वर्ष हजारों महिला - पुरुष और बच्चे महेंगे इलाज के कारण दम तोड़ देते है इसलिए अब समय आ गया है कि सरकार को देश के निजी स्कूलों और निजी अस्पतालों का राष्ट्रीयकरण करके पूरी तरीके से अपने नियंत्रण में लेने की प्रक्रिया प्रारम्भ करनी चाहिए जिससे की देश की जनता राहत की सांस ले सके सरकार देश के निजी स्कूलों और हॉस्पिटलों का राष्ट्रीयकरण करके देश की आम जनता को एक बड़ी राहत प्रदान कर सकता है और इसके माध्य्म से हम देश मे व्याप्त भ्रष्टाचार पर भी कड़ा प्रहार कर सकते है मेरा देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी से आग्रह है कि देश के निजी स्कूलों और निजी हॉस्पिटलों को राष्ट्रीयकरण करने की नीति बनाने पर गंभीरता से विचार कर देश को विश्व गुरु बनाने के सपने को साकार करने के संकल्प को पूर्ण आहुति दे ।
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