गाजियाबाद। ‘शिक्षक ही मनुष्य निर्माण कर सकता है। इसलिए शिक्षक स्वयं पहले मनुष्य बने। मनुष्य बनने के लिए प्राकृतिक आकांक्षाओं से परे जाना होगा।’ भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री शंकरानंद ने बतौर मुख्य वक्ता यह बात वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के ऑडिटोरियम में कही। वह भारतीय शिक्षण मंडल के 54वें स्थापना दिवस समारोह में बोल रहे थे।अपने विचारों में उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षण मंडल शिक्षकों के मौलिक सुधार का काम कर रहा है। मंडल का मकसद है कि शिक्षक केवल किसी संस्थान में नौकर नहीं बल्कि विद्यार्थियों का गुरु बने। शिष्य बनकर सीखते रहने की प्रवृत्ति से गुरुत्व की प्राप्ति हो सकती है। इसलिए स्वयं को पहचानो और शिक्षक से गुरु बनने तक की तीर्थयात्रा करो। सहारनपुर स्थित मां शाकुम्बरी देवी यूनिवर्सिटी के उपकुलपति प्रोफेसर एचएस सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि पहले दो अलग लोक में देव और दैत्य हुआ करते थे। लेकिन त्रेता युग में एक लोक में देव और दैत्य होने लगे। द्वापर में देव-दैत्य एक ही परिवार में होने लगे लेकिन कलियुग में देव और दैत्य मनुष्य के शरीर के अंदर साथ-साथ रह रहे हैं। यह दुर्भाग्य का विषय है। उन्होंने कहा कि जीवन में संयमित रहें। यह देश हम सबका है। इसे बर्बाद न होने दें।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन एवं भारतीय शिक्षण मंडल मेरठ प्रांत के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार गदिया ने मंडल की वार्षिक रिपोर्ट पढ़ी। उन्होंने बताया कि भारतीय शिक्षण मंडल मेरठ प्रांत में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुल 14 जिले शामिल हैं। 45 महिलाओं समेत 165 स्थायी सदस्य हैं। जबकि 4200 वार्षिक स्थायी सदस्य हैं। एक साल में मंडल ने पूरे प्रांत में 132 श्रीराम जाप कार्यक्रम किये। ‘सुभाष, स्वराज, सरकार’ विषय पर प्रांत से 722 पंजीकरण हुए। 110 शोध पत्र जमा हुए। इनमें से 10 श्रेष्ठ शोधवीरों को ग्रेटर नोएडा में एक भव्य समारोह के दौरान सम्मानित किया गया। उन्होंने अपील की कि शिक्षक भारतीय शिक्षण मंडल अधिक से अधिक सदस्य बनें।इससे पूर्व सभी अतिथियों को शॉल, स्मृति चिह्न एवं गुलदस्ते देकर सम्मानित किया गया। हर्षिता ने ध्येय श्लोक का गान और जूही ने ध्येय वाक्य का वाचन किया। देव अग्रवाल ने कल्याण मंत्र का जाप तो कृष्णकांत ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। समारोह में प्रदीप कुमार, अमित रावत, रविकांत सरल, डॉ. चेतन आनंद, डॉ. आशुतोष मिश्र, डॉ. गीता रानी, संगीता धर, एसएस मौर्य, डॉ. नीतू सिंह, श्रेया अग्रवाल समेत मेरठ प्रांत के तमाम शिक्षण-शिक्षिकाएं मौजूद थे। कुशल संचालन कार्यक्रम समन्वयक एवं मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल ने किया।
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