शनिवार, 4 फ़रवरी 2023

सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल, गाजियाबाद में सुगाता मित्रा की नेतृत्व वार्ता से बहुत कुछ सीखने को मिला

 

गाजियाबाद शनिवार को टेड पुरस्कार विजेता और प्रसिद्ध शैक्षिक शोधकर्ता सुगाता मित्रा की शैक्षिक नेतृत्व वार्ता का आयोजन सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल, गाजियाबाद में शनिवार, 4 फरवरी, 2023 को किया गया।

सुगाता मित्रा 1999 में दिल्ली में अपने प्रयोग ‘होल इन द वॉल’ के लिए जाने जाते हैं। एक सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी के रूप में प्रशिक्षित मित्रा के इस प्रयोग से पता चला कि बच्चों में शिक्षकों की निगरानी के बिना कंप्यूटर सीखने और इंटरनेट सर्फ करने की क्षमता छिपी होती है। प्रयोग के निष्कर्षों ने मित्रा को सेल्फ-ऑर्गेनाइज्ड लर्निंग इन्वायरनमेंट (एसओएलई) का प्रस्ताव रखने को प्रेरित किया। इस मॉडल में खुद छात्रों के मार्गदर्शन में शिक्षा की बात की गई है जिसमें शिक्षकों का न्यूनतम हस्तक्षेप होता है।

सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल के एजुकेशन लीडरशिप टॉक में सुगाता मित्रा के संबोधन का टाॅपिक था: द एंड ऑफ नोइंग - ए न्यू डिजाइन फॉर एजुकेशन इन द इमर्जिंग न्यू वल्र्ड। इस अवसर पर शिशिर जयपुरिया, सेठ आनंदराम जयपुरिया ग्रुप ऑफ एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन, विनोद मल्होत्रा, ग्रुप के सलाहकार, नीता बाली, डायरेक्टर स्कूल, और शालिनी नांबियार, डायरेक्टर प्रिंसिपल, स्कूल जैसे प्रतिष्ठित मेजबान मौजूद थे। आयोजन में शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों सहित 500 से अधिक लोगों की भागीदारी देखी गई।


अपने संबोधन में, सुगाता मित्रा ने बच्चों के बीच सीखने पर अपने प्रयोगों को याद किया और नए युग की शिक्षा के लिए स्व-संगठित शिक्षण पर्यावरण (एसओएलई) का प्रचार किया। उन्होंने कहा कि भविष्य की शिक्षण प्रणाली को परिभाषित करने में प्रौद्योगिकी और इंटरनेट की केंद्रीय भूमिका होगी। ”बच्चों के लिए एक अप्रशिक्षित वातावरण में सीखने की क्षमता काफी अधिक है। हमें सीखने के एक नए रूप की ओर बढ़ना होगा जो जानने के बजाय पता लगाने पर जोर देता है। भविष्य के शिक्षार्थियों को तीन आवश्यक दक्षताओं की आवश्यकता होगीः कंप्यूटिंग, समझ और संचार”, उन्होंने कहा।


इस सत्र के बाद प्रश्नोत्तर का दौर चला जिसमें शिक्षकों और छात्रों ने मुख्य अतिथि से शिक्षा के भविष्य के बारे में प्रश्न पूछे।


इससे पूर्व श्री शिशिर जयपुरिया ने अपने विशेष संबोधन से कार्यक्रम का मूल भाव सामने रखा। उन्होंने कहा, “शिक्षा जगत के सामने बहुत-सी चुनौतियां हैं। हमें नई टेक्नोलॉजी के साथ कदम से कदम मिला कर चलना है। इसके लिए स्कूल के इकोसिस्टम में भावी शिक्षण प्रणालियों का समावेश जरूरी है। हालांकि यह भी ध्यान रखना होगा कि विद्यार्थियों के जीवन में टेक्नोलॉजी का अति होना उचित नहीं इसलिए उनमें सहानुभूति, करुणा, सेवा भाव, पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता और सस्टेनेबिलिटी की दृष्टि जैसे मूल्यों का निरंतर विकास करना होगा। शिक्षार्थियों का समग्र विकास सुनिश्चित करने के सर्वोपरि लक्ष्य से ज्ञान, कौशल, उच्च मूल्यों और सही दृष्टिकोण सभी का सही सामंजस्य करना होगा। नेतृत्व वार्ता में उपस्थित लोगों को कई ज्ञानवर्धक उपलब्धियां हुईं। स्कूल के आरजे स्टूडियो में सुगाता मित्रा के रेडियो पॉडकास्ट के साथ आयोजन का समापन हुआ।



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