अस्थमा: वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बी पी त्यागी के मुताबिक ठंड का मौसम अस्थमा के मरीजों के लिए परेशानी भरा होता है. ठंड में सांस की नली में सूजन बढ़ जाती है. जिसकी वजह से ना सिर्फ सांस लेने में परेशानी होती है बल्कि बार-बार खांसी आती है और सीने में जकड़न महसूस होती है. अस्थमा के मरीजों को ठंड में ठंडी तासीर वाली चीजों को खाने से परहेज करना चाहिए. घर से कम बाहर निकलना चाहिए. घर से बाहर जा रहे हैं तो मास्क का इस्तेमाल करें।डर्मिटाइटिस: डॉ त्यागी बताते हैं कि ठंड में शरीर में खून का दौरान कम हो जाता है. जिसकी वजह से स्किन पर ड्राइनेस हो जाती है. ऐसी स्थिति को एक्जीमा या डर्मिटाइटिस कहते हैं. ठंड में स्किन प्रॉब्लम्स से बचने के लिए नहाने के समय ज्यादा गर्म पानी का इस्तेमाल न करें. यदि नहाने के दौरान तेज गर्म पानी का इस्तेमाल करते हैं तो स्किन प्रॉब्लम्स के और बढ़ने का खतरा बना रहता है. नहाने के बाद स्किन पर मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करें. डाइट में विटामिन D लें. जैसे संतरा, मशरूम आदि.आर्थराइटिस: डॉ त्यागी के मुताबिक़ ठंड में शरीर में खून का दौरान कम हो जाने की वजह से जोड़ो में दर्द होता है. ये समस्या आर्थराइटिस के मरीजों में काफी देखने को मिलती है. ऐसी स्थिति में डॉक्टर से परामर्श लें। हार्ट अटैक: ठंड में हार्ट ठीक से ब्लड पंप नहीं कर पाता. जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में नियमित रूप से चेकअप कराएं. ठंड के मौसम में खांसी जुकाम होना आम बात है. खांसी जुकाम से बचने के लिए ठंडी तासीर वाली चीजों को खाने से बचें. गुनगुना पानी पिएं. डॉक्टर से परामर्श लें।
ब्रेन अटैक: फिलहाल बुजुर्गों को सुबह-शाम वॉक पर जाने से बचना चाहिए. धूप निकलने पर ही बाहर टहलने जाएं. घरों में हीटर और ब्लोअर का इस्तेमाल ध्यान पूर्वक करें. बंद कमरे में सामान्य मीटर का प्रयोग करने से कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा काफी अधिक हो जाती है. जिससे कमरे में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है. कमरे में ऑक्सीजन की कमी होने से हार्ट अटैक और ब्रेन अटैक होने की संभावना बढ़ जाती है। कान को ढकें: घर से बाहर निकलने पर कान को सर्द हवाओं से बचाएं. कान के पर्दों पर ठंडी हवाएं लगने से पर्दे सूज सकते हैं. कान में काफी दर्द हो सकता है. गर्म कपड़े से कानों को ढक कर घर से बाहर जाएं.
ह्यूमिडीफायर का इस्तेमाल: ठंड में छोटे बच्चों को खोसी जुखाम होना काफी आम बात है. ऐसे में बच्चों की नाक बंद हो जाती है और सांस लेने में परेशानी होती है. किसी भी तरह की नेज़ल ड्रॉप का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह लें. बच्चों के कमरे में ह्यूमिडीफायर का इस्तेमाल करें.
जम्मू, बठिंडा, अमृतसर, पटियाला, अंबाला, सोनीपत, पानीपत, चंडीगढ़, गंगानगर, चूरू, आगरा, झांसी आदि जगह धुंध की चादर में लिपटे हुए नजर आए. वहीं दिल्ली में भी पालम और सफदरजंग समेत अन्य इलाके में भी घना कोहरा देखा गया. इससे विजिबिलिटी घटकर 25 से 75 मीटर के बीच रह गई. मौसम विभाग की मानें, तो अगले 2 से 3 दिन तक पूरे उत्तर भारत में शीतलहर के चलते कड़ाके की ठंड के हालात बने रहेंगे.
डा० बी पी त्यागी
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