प्रतीक गुप्ता
कृपया ध्यान दें—मैं किसी भी धर्म, पूजा पद्धति, भगवान, पैगंबरों का मज़ाक़ बनाने के विरुद्ध हूँ और गुंडों तथा आतंकियों के विरुद्ध ये लिख रहा हूँ…. ‘मीम’ एक अलग विचारधारा है जिसमें ‘भीम’ की विचारधारा का कोई स्थान नही है। ये बात समाज तो समझ रहा है पर उनका नेतृत्व ‘समझना नही चाह रहा’, कारण स्पष्ट है- सत्ता, और इसमें नेतृत्व युवाओं को साधन बना रहा है क्योंकि उनमें जोश अधिक होता है|
युवा अपना ध्यान स्वयं रखें | बेंगलुरु, जहां इस्लाम के विरुद्ध दलित विधायक अखंडा श्रीनिवास मूर्ती के भतीजे नवीन ने एक आपत्तिजनक पोस्ट डाली और मुस्लिम भीड़ ने विधायक का घर जला दिया (बड़ी बात है कि इतने पर भी उन्होंने शांति की अपील की है), थाना जला दिया, 60 पुलिसकर्मी घायल किए, निर्दोषों के 300 से अधिक वाहन फूंक दिए | भीड़ पर पत्थर व पेट्रोल बम थे (कश्मीर, दिल्ली, यू पी में भी ये ही रणनीति थी), ऐसे में मंदिर बचाने के लिए मानव श्रृंखला बनाना सिर्फ़ एक नीति थी जिससे जनता और मीडिया की सहानुभूती मिले और ऐसा हुआ भी | काश कि ये लोग उग्रता के विरुद्ध भी खड़े होते और उग्र लोगो को समझाते | खैर, हो सकता है ये उस समय संभव न हो पाया हो | बहरहाल, ये दंगा था और वो भी सुनियोजित | सामान्य लोग क्रोध दिखाते, नारे लगाते, पुलिस पर दवाब भी बनाते पर इस प्रकार आगजनी और हमले नहीं करते | ये सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से हुआ | कहीं ये स्लीपर सेल का आतंकवाद तो नहीं ? खैर! वो सब तो जांच में सामने आएगा | दूसरी ओर भी देखिये, हिन्दू भगवानों का कुछ बे-विचार, धन और लोकेष्णा के मारे बुद्धीहीन ‘स्टैंड-अप कामेडियन’ किस प्रकार मान मर्दन करते है पर कुछ मुट्ठी भर (ये भी शायद ज़्यादा कह रहा हूँ) लोगों के अलावा कोई बोलता है ? मीडिया, सरकारी तंत्र, और खासतौर पर बुद्धिजीवी ये तो ये सब देख कर ऐसे हो जाते है जैसे आखें हो ही ना. तब सेक्युलारिस्म, समानता, समरसता व समभाव के सिद्धांत बिन पानी की बाढ़ में डूब जाते है और राजनीतिज्ञ भी इन घटनाओं से फुटबॉल का शौक पूरा कर लेते हैं | जो बोलता है उसे ट्रोल कर या करवा दिया जाता है और अगर कुछ हिन्दू कही कुछ कर दें तो सारे हिन्दू भगवा आतंकवादी हो जाते है, लोकतंत्र के विरुद्ध हो जातें हैं | पालघर का अंजाम तो सबने देखा ही होगा | कुछ बड़े बुद्धजीवियों को जय श्री राम के नारे में भी हिंसा नज़र आती है और बड़ी-बड़ी पोस्ट राम जी के नाम से लिखते पर फ़िलहाल वो सब अभी quarantine हो गए हैं | कृपा करके सरकारें और हर धर्म पंथ का भारतीय दिल्ली, यू.पी., कोलकोता और बेंगलुरु की घटनाओं से सबक ले नहीं तो कश्मीर की तरह हालात होने में देर नहीं लगी लगेगी | फिर सजाते रहना तरक्की और विश्व गुरु होने के ख्वाब | हमने अपने बच्चों से साफ़ हवा, ज़मीन, स्वच्छ पानी तो छीन ही लिया है अब तरक्की के ख्वाब तो बचा लें.....गलत के विरूद्ध न बोलना मतलब गलत का समर्थन करना होता है और फिर जब वैश्विक समाज आपके विरुद्ध बोलता है तो फिर कितना बुरा लगता है?
कुछ बुरा लगा हो तो क्षमा….
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